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Prolouge

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प्रस्तावना 

 

 नवंबर 2016 विमुद्रीकरण के बाद मुंबई में कुछ खास करने को तो था नहीं तो मेरा दिल्ली आना हुआ।

इसके पहले 2014 से शुरू हुई नव -राष्ट्रवाद की लहर में पिछले 1 साल से मेरे अंदर भी राष्ट्रवाद का एक नया  उबाल पनप रहा था।

 

दिल्ली में मेरे यूपीएससी की तैयारी कर रहे दोस्तों से मुलाकात हुई और मुझे भारत का संविधान पढ़ने का मौका मिला। मुझे लगा अगर मैं देश के लिए कुछ करना चाहता हूं तो उसके पहले मुझे अपने देश को जानना होगा।

 

यूपीएससी का एग्जाम कुछ महीने दूर था और करने को कुछ खास था नहीं तो मुझे लगा कि तैयारी के दबाव में देश के बारे में कम समय में पढ़ाई की जा सकती है।

 

यह सोचकर मार्च 2017 में मैंने यूपीएससी की तैयारी आरंभ की।

 

आर्थिक सर्वेक्षण 2017 पढ़कर मैं काफी विचलित हुआ क्योंकि इसमें विस्तार से देश के सामने आने वाली ( जो  अब घटित हो रही हैं) चुनौतियों का जिक्र था जैसे कि प्राकृतिक बदलाव, खेती की समस्या, बेरोजगारी इत्यादि।

 

इसलिए मैं इन समस्याओं का समाधान करने की कोशिश करने लगा और जनवरी 2019 तक कम से कम पांच  निर्माणो की जरूरत लगी।

 

1)  वसुधा आर्मी

2) फार्मर्स

3) बिजनेस बैंक

4) एकलव्य क्लासेस

5) नेशनल सिटीजन आर्मी

 

मुझे यह समझ नहीं आ रहा था कि मैं इन समाधानों का करूं क्या या कहां लेकर जाऊं। और मुझे यह भी लगा कि अगर मुझे कुछ हो गया तो इन समाधानों को कहीं सुरक्षित करना होगा।

 

इसलिए 2020 में मैंने "भारत की बात भारत के साथ" नाम से एक यूट्यूब चैनल बनाकर इन समाधानों को डाल दिया। उनका लिंक भी ट्विटर पे शेयर कर दिया |

 

इसके बाद एक आंतरिक द्वंद का एक दौर शुरू हुआ क्योंकि मैं इन समाधानों को देश के लोगों, मीडिया या सरकारों तक नहीं पहुंचा पा रहा था।

 

कोई भी एक साधारण भारतीय की बात ना सुनने को तैयार था ना ही उन बातों पर यकीन करने को। उनके पास एक नजर देखने का भी वक्त नहीं था।

 

सभी समस्याओं पर बात करने में बहुत उत्साहित रहते थे पर संभावित समाधान में उन्हें कोई रुचि नहीं होती थी।

 

मेरा अंतर्द्वंद यह था कि मैं इस रास्ते पर चलूं या अपनी जिंदगी पर ध्यान दूँ  जो बहुत तेजी से बर्बाद हो रही थी। मैं इस अंतर्द्वंद में दोनों में से कोई एक भी नहीं कर पा रहा था। अगर मैं एक रास्ते पर चलता तो दूसरा मुझे खींचता और मैं दोनों तरफ कुछ नहीं कर पा रहा था।

 

और मेरी सारी कोशिशे इन समाधानों को लोगों की नजर में लाने की असफल हो रही थी।

 

अंत में थक हार कर अक्टूबर 2023 में मैंने इसे पूरी तरह छोड़कर अपनी जिंदगी पर ध्यान देने का सोचा।

 

लेकिन नवंबर 2023 में सौरभ से बात करते हुए मेरे अंदर एक विचार आया कि अगर हम लोकसभा 2024 में सभी 543 सीट पर चुनाव लड़ते हैं तो शायद देश का इन पर ध्यान जाए।

 

और इस तरह

 

"भारत का क्रांति सेना "

 

का निर्माण हुआ।

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